गणेश जयन्ती 2025: 1 फरवरी का शुभ मुहूर्त और विशेष रीति‑रिवाज़

जब भगवान गणेश का जन्म दिवस 1 फ़रवरी, 2025 को पड़ता है, तो भारत‑व्यापी घर‑घर में उमड़ते हैं भावनात्मक उत्सव। इस मौके को ड्रिक पंचांग ने 11:38 AM‑1:40 PM तक के मध्यान्ह गणेश पूजा मुहूर्त के रूप में घोषित किया है, जो 02 घंटे 02 मिनट तक चलने वाला विशेष समय है। साथ ही हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया कि यह त्यौहार भगवान शिव‑श्रीमती पार्वती के पुत्र के रूप में गणेश जी के जन्म को श्रद्धांजलि देता है। यह समझना ज़रूरी है कि यह केवल कथात्मक नहीं, बल्कि वास्तवीक जीवन में बाधाओं को हटाने का संदेश भी देता है।
इतिहास एवं पौराणिक पृष्ठभूमि
गणेश जयन्ती को भगवान पार्वती ने हल्दी‑पीठ से बनाया, यह कथा कई पुराणों में मिलती है। शास्त्रों के अनुसार, पार्वती ने गोपनीयता की रक्षा के लिए पहले सफेदी का हल्दी‑मिश्रण से गणेश को रचा, फिर शंकर ने अनजाने में उसकी सिर काट दी. दया भरे शंकर ने तुरंत हाथी का सिर लगाकर उसे फिर से जीवित कर दिया, जिससे वह सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय बन गया। मराठा साम्राज्य के महानायक छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस दिन को बड़े पैमाने पर मनाकर एकता और भक्तिभाव को बढ़ावा दिया।
2025 का मुहूर्त व तिथि‑विवरण
ड्रिक पंचांग के अनुसार, गणेश जयन्ती 2025भारत का चतुर्थी तिथि 11:38 AM, 1 फ़रवरी को शुरू होकर 9:14 AM, 2 फ़रवरी को समाप्त होती है। उसी दिन सूर्य का प्रकाश मिलाप से पहले 9:02 AM‑9:07 PM तक चंद्रमा देखना वर्जित माना गया है। यह समय‑निर्धारण विशेष रूप से वैदिक ज्योतिष में महत्व रखता है, क्योंकि इस अवधि में गणेश जी की पूजा से मंगल‑दोष एवं अन्य ग्रह‑दोषों का निवारण हो सकता है।
विशेष पूजा‑विधि व प्रसाद
पूजा की शुरुआत साफ‑सुथरे स्थान से होती है; यहाँ सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई के पुजारी अक्सर "धोवा" (साफ़‑सफ़ाई) को पहला कदम मानते हैं। फिर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है, उसके माथे पर तिलक लगाया जाता है, और 108 नामों का जाप किया जाता है। प्रमुख प्रसाद में 21 मोदक, 21 दुर्वा घास की पत्तियाँ और हल्दी‑कुंकुम की झाँकी शामिल है। मॉडक को विशेष रूप से नारियल‑चावल‑चीनी के मिश्रण से बनाया जाता है, जो गणेश जी की प्रियता को दर्शाता है। उपवास सूर्य उदय से लेकर पूजा समाप्ति तक रखा जाता है; उपवास तोड़ने का समय केवल मोदक अर्पित करने के बाद ही मनाया जाता है।
राज्य‑वार उत्सव शैली
महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में गणेश जयन्ती को विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है। पुणे के बिरला मंदिर, नई दिल्ली के पंडित इस दिन लाखों श्रद्धालुओं को शास्त्रीय मंत्रों का पाठ करवाते हैं, जबकि कोलकाता के घरों में भी छोटे‑छोटे मिट्टी के गणेश का आभूषण देखना आम बात है। यहाँ तक कि प्रयागराज में आयोजित होने वाला मैघ मेले भी गणेश जयन्ती के साथ तालमेल बिठाता है, क्योंकि दोनों ही पवित्र स्थानों पर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
ज्योतिषीय लाभ और भविष्य की राह
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, इस दिन गणेश जी की पूजा करने से व्यावसायिक उन्नति, शैक्षणिक सफलता और स्वास्थ्य में सुधार होता है। विशेषकर, जो लोगों को मंगल‑दोष से परेशान माना गया है, उनपर इस पूजा का सकारात्मक प्रभाव सिद्ध हुआ है। 2025 में अगला प्रमुख गणेश‑संबंधित त्यौहार गणेश चतुर्थी होगा, जो शरद‑भाद्रपद माह में पड़ता है। इस प्रकार, गणेश जयन्ती को शीत‑ऋतु में मनाकर भक्तों को शुष्क‑मौसम में भी आशा की किरण मिलती है।
आगे क्या देखना है?
आने वाले महीनों में सोशल मीडिया पर #GaneshJayanti2025 टैग के माध्यम से विभिन्न रीति‑रिवाज़ और रेसिपी शेयर होने की संभावना है। साथ ही, कई टेलीविजन चैनलों ने विशेष वीडियो‑सिरियल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की योजना बना ली है, जो इस त्यौहार को राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक प्रमुख बनाते हैं। संक्षेप में, गणेश जयन्ती न केवल धार्मिक भावना को जागृत करती है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विविधता को भी सशक्त बनाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
गणेश जयन्ती 2025 का शुभ मुहूर्त कब है?
ड्रिक पंचांग ने 1 फ़रवरी, 2025 को 11:38 AM‑1:40 PM IST को मध्यान्ह गणेश पूजा मुहूर्त बताया है, जो 02 घंटे 02 मिनट का अवधि है। यह समय विशेष रूप से अनुष्ठानिक कार्यों के लिये उपयुक्त माना गया है।
क्या गणेश जयन्ती पर उपवास अनिवार्य है?
परम्परा अनुसार, भक्त सूर्य उठने से लेकर पूजा समाप्ति तक उपवास रखते हैं। उपवास में फास्टिंग सिर्फ भोजन को न करना शामिल है, लेकिन जल सेवन स्वीकृत है। पूजा के बाद मोदक अर्पित कर उपवास तोड़ा जाता है।
गणेश जयन्ती के दौरान किन‑किन प्रदेशों में विशेष उत्सव होते हैं?
मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बड़े पैमाने पर जश्न मनाए जाते हैं। इन राज्यों में मोदक की तैयारी, दुर्वा घास की पत्तियाँ अर्पित करना और विशेष संगीत समारोह आम हैं।
गणेश जयन्ती का वैदिक ज्योतिष में क्या महत्व है?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, इस दिन गणेश जी की पूजा करने से मंगल‑दोष, शनी‑दोष एवं अन्य ग्रह‑दोषों का निवारण होता है। यह व्यावसायिक सफलता, शैक्षणिक उन्नति और स्वास्थ्य में सुधार के लिये भी लाभकारी माना जाता है।
गणेश जयन्ती और गणेश चतुर्थी में क्या अंतर है?
गणेश जयन्ती शुक्रमासिक महीने में (जनवरी‑फ़रवरी) पड़ता है और इसे अधिक निजी,家庭‑केन्द्रित त्यौहार माना जाता है। जबकि गणेश चतुर्थी शरद‑भाद्रपद महीने (अगस्त‑सितंबर) में मनाया जाता है और बड़ा सार्वजनिक समारोह व सार्वजनिक विसर्जन (विसर्जन) से जुड़ा होता है।