मोदक: इतिहास, रेसिपी और त्योहारी महत्व

जब हम मोदक, एक गोल, नरम भारतीय मिठाई जो चावल के आटे या मैदे से बनती है और अक्सर व्रत में खाई जाती है की बात करते हैं, तो पहला सवाल अक्सर यही होता है – यह मिठाई कितनी पुरानी है? मोदक का जन्म प्राचीन भारतीय रसोई में हुआ माना जाता है, जहाँ इसे त्योहारी अवसरों और धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष महत्व दिया जाता था। इस मिठाई को हम मिठाई, भोजन का एक मीठा भाग जो अक्सर स्वाद, उत्सव या साधना से जुड़ा रहता है, स्वादिष्ट ट्रीट के रूप में भी पहचानते हैं। मुख्य कारण यह है कि मिठाई का स्वरूप और मिठास दोनों ही खुशी और आशीर्वाद का प्रतीक हैं। इसी कारण व्रत, धार्मिक या स्वास्थ्य कारणों से कुछ समय तक भोजन या कुछ चीजें न खाने की आध्यात्मिक प्रथा, उपवास में भी मोदक को खास जगह मिलती है; कई परिवारों में यह सूर्य नमस्कार या संकल्प के बाद लाजवाब नाश्ता बन जाता है। इसके अलावा, त्योहार, सांस्कृतिक या धार्मिक समारोह जहाँ लोग विशेष रूप से पकवान, गीत‑नृत्य और प्रार्थना करते हैं, पर्व जैसे गणेश चतुर्थी, दीपावली और होली में मोदक को भगवान के चरणों में अर्पित किया जाता है। यही कारण है कि मोदक का हर रूप – बर्फीला, खोया‑भरा या दाल‑भरा – किसी न किसी त्यौहार से जुड़ा रहता है, और एक ही पकवान को अलग‑अलग अवसरों पर अलग‑अलग भावनाओं के साथ परोसा जाता है।

गणेश जयन्ती 2025: 1 फरवरी का शुभ मुहूर्त और विशेष रीति‑रिवाज़

गणेश जयन्ती 2025: 1 फरवरी का शुभ मुहूर्त और विशेष रीति‑रिवाज़

गणेश जयन्ती 2025 को 1 फ़रवरी, 2025 को धूमधाम से मनाया जाएगा। मध्यान्ह पूजा मुहूर्त, मोदक की थाली और राज्य‑वार विशेष रीति‑रिवाज़ इस त्यौहार को यादगार बनाते हैं।